शौंक नहीं है मुझे अपने जज़्बातों को यूँ सरेआम लिखने का …
मगर क्या करूँ , अब जरिया ही ये है तुझसे बात करने का
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा , सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा ,
जाने क्या बात थी उसमें और मुझ में ,सारी महफ़िल भूल गए बस वही एक चेहरा याद रहा
साथ ना रहने से रिश्ते टूटा नहीं करते ,
वक़्त की धुंध से लम्हे टूटा नहीं करते ,
लोग कहते हैं कि मेरा सपना टूट गया,
टूटी नींद है , सपने टूटा नहीं करते
0 comments:
Post a Comment