कोई दोस्त है ना रकीब है,
कोई अपना ना मेरे करीब है ,
तेरा शहर कितना अजीब है ।
यहॉ ख़ामोशियों में कितना शोर है,
अब ये शोर हमको नसीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है ।
मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहॉ सब के सर पे सलीब है ,
तेरा शहर कितना अजीब है ।
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