Monday, September 18, 2017

बिखर जायें हम तो क्या...


ज़िंदा रहे तो क्या है जो मर जाएं हम तो क्या, 
दुनिया से खामोशी से गुजर जाएं हम तो क्या, 
हस्ती ही अपनी क्या है इस ज़माने के सामने, 
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।

बिखर जायें हम तो क्या शायरी

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