काँच की तरह... Posted on September 18, 2017 by Baba Banchoddas with No comments टूटे हुए काँच की तरह चकना-चूर हो गया हूँ किसी को चुभ न जाऊँ इसलिए सबसे दूर हो गया हूँ। Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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